OBO live पर पूर्वप्रकाशित!
अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में
उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में
ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं
लहू भरना ही होगा अब दीयों में
फ़लक पर जो दिखा था एक सूरज
कहीं गुम हो गया परछाइयों में
तेरी महफ़िल से जी उकता गया है,
सुकूँ मिलता है बस तन्हाईयों में
लिए जाता हूँ कश, मैं फिर लिए हूँ
तेरी यादों की 'सिगरेट' उँगलियों में
उतरना ध्यान से दरिया में 'साहिल'
मगरमच्छ भी छुपे हैं, मछलियों में
उम्दा शेर ..... बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल ...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई...
उम्दा ग़ज़ल.......हर शेर बेहतरीन
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteहर शेर शानदार है
हरेक पंक्ति दिल को छू जाती है...लाज़वाब प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी ग़ज़ल ! हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteशानदार गजल। उतनी ही शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
ReplyDeleteइस ब्लॉग पर आने से हिंदुत्व का विरोध करने वाले कट्टर मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष { कायर} हिन्दू भी परहेज करे.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच - हल्ला बोल
हल्ला बोल के नियम व् शर्तें
ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
ReplyDeleteइस ब्लॉग पर आने से हिंदुत्व का विरोध करने वाले कट्टर मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष { कायर} हिन्दू भी परहेज करे.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
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ReplyDeleteवाह...वाह...
ReplyDeleteसाहिल जी बहुत ही लाजवाब शे'र कहे हैं ....
ख़ास कर दुसरा और पाँचवाँ बहुत ही प्रभावी है ....
बधाई ....!!
श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
ReplyDeleteक्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी ग़ज़ल|धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत खूब .. हर शेर नगीना है अपने आप में .... किसी एक को कोट करना आसान नही है ... लाजवाब ...
ReplyDeleteback after so long n this is the first ghazal i've read....overwhelmed....in no position to comment....
ReplyDelete:)
thats all i got for ur day...a smile
sigret se tulna kya khoon hai ati sunder
ReplyDeletebadhai
machhliyon me magarmachh sahi kaha aapne
sunder gazal
rachana
बहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने! बधाई!
ReplyDeleteवाह साहिल साहब, क्या खूब शेर कहे हैं, एक एक शेर बेहतरीन...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और ढेर सी शुभकामनायें कि आप बढ़िया से बढ़िया शायरी के मोती पिरोते रहें !!!
अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में
ReplyDeleteउजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में
ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं
लहू भरना ही होगा अब दीयों में
kamal ke sher kahe hain bhai......bahut achchi gazal
प्रिय बंधुवर 'साहिल' जी
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल है ...
एक-एक शे'र काबिले-तारीफ़ है .
अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में
उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में
ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं
लहू भरना ही होगा अब दीयों में
क्या बात है !
लिए जाता हूँ कश, मैं फिर लिए हूँ
तेरी यादों की 'सिगरेट' उँगलियों में
...और इस शे'र के लिए ख़ास मुबारकबाद !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बढ़िया लिख रहे रहे हैं साहिल जी आप.
ReplyDeleteअच्छे शेर कहे हैं ,keep it up.
बहुत खुबसूरत......अशआर.....शानदार अच्छा लगा पढ़ कर -
ReplyDeleteकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|