कोई ऐसी भी इक किताब लिखे
सब सवालों के सब जवाब लिखे
हमने काली स्याह रात में भी
जगमगाते हुए से ख्वाब लिखे
कोई चेहरा भला पढूं कैसे
सबके चेहरों पे हैं नकाब लिखे
अब यहाँ हो रही नीलाम कलम
कौन है जो के इन्कलाब लिखे
कोई माली है जो नसीब लिखे
कहीं कांटे कहीं गुलाब लिखे
ये अलग बात, भेजता ही नहीं
ख़त तुझे मैंने बेहिसाब लिखे
जाने 'साहिल' तुझे हुआ क्या है
इक ज़रा मौज को सैलाब लिखे