क्यूँ बुरा मानूं किसी की बात का?
मैं भी जिम्मेवार हूँ हालात का
हुक्मरां उसको न माने दिल मेरा
सर पे जिसके ताज है खैरात का
मै अभी सूखे से उबरा ही न था,
घर में पानी आ गया बरसात का
फूल, भंवरे, रात, जुगनू, चांदनी
शुक्रिया! मेरे खुदा सौगात का
फिर शफ़क़ ने दूर कर दी तीरगी
सुर्ख मुंह है फिर शरम से रात का
मैं भी जिम्मेवार हूँ हालात का
हुक्मरां उसको न माने दिल मेरा
सर पे जिसके ताज है खैरात का
मै अभी सूखे से उबरा ही न था,
घर में पानी आ गया बरसात का
फूल, भंवरे, रात, जुगनू, चांदनी
शुक्रिया! मेरे खुदा सौगात का
फिर शफ़क़ ने दूर कर दी तीरगी
सुर्ख मुंह है फिर शरम से रात का