जुस्तज़ू किसकी, चाह किसकी है?
मुन्तज़िर ये निगाह किसकी है?
जलते सहराओं में महकता है,
तुझको ऐ गुल, पनाह किसकी है?
ये मुहब्बत गुनाह है, तो फिर
ज़िन्दगी बेगुनाह किसकी है?
जिसको देखूँ है ग़मज़दा वो ही,
किसको पूछूँ के आह किसकी है?
चाँद-तारे, चराग ना जुगनू,
रात इतनी तबाह किसकी है?
कुछ उदू भी जहां में हैं अपने
हर किसी से निबाह किसकी है?
तेरी किस्मत तो है जुदा 'साहिल'
और इतनी स्याह किसकी है?
मुन्तज़िर ये निगाह किसकी है?
जलते सहराओं में महकता है,
तुझको ऐ गुल, पनाह किसकी है?
ये मुहब्बत गुनाह है, तो फिर
ज़िन्दगी बेगुनाह किसकी है?
जिसको देखूँ है ग़मज़दा वो ही,
किसको पूछूँ के आह किसकी है?
चाँद-तारे, चराग ना जुगनू,
रात इतनी तबाह किसकी है?
कुछ उदू भी जहां में हैं अपने
हर किसी से निबाह किसकी है?
तेरी किस्मत तो है जुदा 'साहिल'
और इतनी स्याह किसकी है?