January 02, 2014

अगर ऐसा नहीं वैसा हुआ तो?

नही बरसी मगर छाई घटा तो
ज़मीं को दे गयी इक हौसला तो!


न कुछ मैंने किया इस कश्मकश में
अगर ऐसा नहीं वैसा हुआ तो? 

किये हैं बंद सारे रास्ते, पर
जबर्दस्ती वो दिल में आ गया तो? 

हुई मुद्दत तेरी जानिब चला था
मगर पहले सा है ये फासला तो!

ये माना मैंने तू ज़ालिम नहीं है
मगर चुप क्यूँ रहा, कुछ बोलता तो!

हसीं से ज़ख्म, यादें महकी महकी
मैं खुश हूँ वो मुझे कुछ दे गया तो!

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