OBO live पर पूर्वप्रकाशित!
अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में
उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में
ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं
लहू भरना ही होगा अब दीयों में
फ़लक पर जो दिखा था एक सूरज
कहीं गुम हो गया परछाइयों में
तेरी महफ़िल से जी उकता गया है,
सुकूँ मिलता है बस तन्हाईयों में
लिए जाता हूँ कश, मैं फिर लिए हूँ
तेरी यादों की 'सिगरेट' उँगलियों में
उतरना ध्यान से दरिया में 'साहिल'
मगरमच्छ भी छुपे हैं, मछलियों में