September 28, 2010

ये कीलों से छलनी दीवारों से पूछो

उजालों की कीमत शरारों से पूछो
जलें उम्र भर जो, सितारों से पूछो

होता है क्या यारो, दर्द-ए-जुदाई
ये दरिया के दोनों किनारों से पूछो

क्यों गुलसितां में हैं लाशें गुलों की
ये अब के बरस तुम, बहारों से पूछो 

टंगी है जो तस्वीर, कितनी है दिलकश
ये कीलों से छलनी दीवारों से पूछो

है 'साहिल' उन्हें तुमसे  कितनी मुहब्बत
न यूँ आज़माओ, न यारों से पूछो

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शरारों = चिंगारियां

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