यूँ तो घर में, मंदिर में, भगवान् सजा के रक्खा है
बिकने को बाजारों में ईमान सजा के रक्खा है
तुम मानो या न मानो पर हमने ये भी देखा है
इंसानों ने महफ़िल में इंसान सजा के रक्खा है
दिल में इतने ग़म हैं फिर भी होंठ नहीं भूले हंसना
तेरी यादों से दिल का शमशान सजा के रक्खा है
मेरी ग़ज़लें मेरे नगमे काश के तू भी पढ़ लेता
मैंने तेरी खातिर ये दीवान सजा के रक्खा है
'साहिल' अपनी कश्ती कैसे पार भला अब उतरेगी
मौजों ने जो सीने पर तूफ़ान सजा के रक्खा है
बिकने को बाजारों में ईमान सजा के रक्खा है
तुम मानो या न मानो पर हमने ये भी देखा है
इंसानों ने महफ़िल में इंसान सजा के रक्खा है
दिल में इतने ग़म हैं फिर भी होंठ नहीं भूले हंसना
तेरी यादों से दिल का शमशान सजा के रक्खा है
मेरी ग़ज़लें मेरे नगमे काश के तू भी पढ़ लेता
मैंने तेरी खातिर ये दीवान सजा के रक्खा है
'साहिल' अपनी कश्ती कैसे पार भला अब उतरेगी
मौजों ने जो सीने पर तूफ़ान सजा के रक्खा है