दुनिया से हरदम मिलते हैं
खुद से लेकिन कम मिलते हैं
आशिक हैं वो, सुबह-सवेरे
जिनके तकिये नम मिलते हैं
जब भी देखूं तेरा चेहरा
ज़ख्मों को मरहम मिलते हैं
वो क्या जाने प्यास हमारी,
जिनको जाम-ओ-जम मिलते हैं
तेरी यादों से, आँखों को,
बारिश के मौसम मिलते हैं
'साहिल', हैं सब कहने वाले
सुनने वाले, कम मिलते हैं