भीगा भीगा है सुबह का आँचल
हर कली ओस में नहाई है
रात रोई है रात-भर शायद
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इस कदर स्याह है आज रात का रंग
चांदनी है न इक सितारा है
किसके अश्कों में घुल गया काजल
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बंद आँखों से सुन लिया मैंने
कुछ किताबों का इल्म लोगों से
अब में दैर-ओ-हरम में उलझा हूँ
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आज दिल की किताब झाड़ी तो
तेरी यादों की धूल उड़ती है
छींक तुझको भी आई तो होगी
वाह वाह, सूर्य भानु गुप्त की नज्में याद आ गईं आपकी नज्म पढ़ के. बहुत ही अच्छा लिखा और मुझे तो बेह्द शानदार लगा. मेहनत आपने बहुत की है जो झलक भी रही है.
ReplyDeleteबहुत खूब्!!!!
ReplyDeleteउभरता नही, उभर चुका साहिल कहिये जनाब् !!!
6.5/10
ReplyDeleteपठनीय / लाजवाब त्रिवेणी
हर बात में कुछ ख़ास बात है.
तीसरे नंबर की त्रिवेणी विशेषकर संजोने लायक है.
बेहतर , शानदार रचना .......... बधाई आपको .
ReplyDeleteआप सब का बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDelete"CHHEENK TUJHKO BHI AAYEE TO HOGI" KYA DIL SE DIL KA TAAR JODA HAI ! ACHCHHI RACHNA
ReplyDeleteसमां बाँध दिया साहिल साहब .... बेमिसाल है सब ... पर आखिर वाली का जवाब नहीं .....
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ....
आपको और आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ....
ReplyDelete@ सुरेन्द्र जी
ReplyDelete@ दिगंबर जी
@ संजय जी
यहाँ आने का बहुत शुक्रिया !
खूबसूरत अलफ़ाज़ में सब कुछ बहुत ही बढ़िया कहा आपने,
ReplyDelete'अब मैं दैर-ओ-हरम में उलझा हूँ ' आज के दौर का सच जिसे बयां खूब किया आपने,
लिखते रहिये !
शुक्रिया मनवी जी !
ReplyDelete!!!!!
ReplyDelete!!!!!
!!!!!
Ashish
वाह जी बहुत सुंदर त्रिवेणी ......... बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसाहिल,
ReplyDeleteविस्मयादिबोधक चिन्ह जो मैं लगा गया था उनका मतलब स्पष्ट है....
फिर भी आप शब्दों में तर्जुमा चाहते हैं तो:
आनंद!
आनंद!
आनंद!
आशीष
आशीष भाई,
ReplyDeleteविस्मयादिबोधक चिन्ह 'आनंद' के अलावा 'घृणा, क्रोध, लज्जा,' जैसे भावों के लिए भी उपयोग किया जाता है...........जान कर अच्छा लगा के आपको 'आनंद' आया.......
cheenk tujhko bhi aayi to hogi.....!!
ReplyDeleteawwwwwww....tooooo good, amazing
baaqi sari hi triveniyaan bohot acchi hai, sab ki sab kamaal...kudos buddy :)
behtareen triveniyan hain sari ki sari,aur zahir hai ki cheenk wali triveni to alag hi jagah banati hai dil me........
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