नही बरसी मगर छाई घटा तो
ज़मीं को दे गयी इक हौसला तो!
न कुछ मैंने किया इस कश्मकश में
ज़मीं को दे गयी इक हौसला तो!
न कुछ मैंने किया इस कश्मकश में
किये हैं बंद सारे रास्ते, पर
हुई मुद्दत तेरी जानिब चला था
मगर पहले सा है ये फासला तो!
ये माना मैंने तू ज़ालिम नहीं है
ये माना मैंने तू ज़ालिम नहीं है
मगर चुप क्यूँ रहा, कुछ बोलता तो!
हसीं से ज़ख्म, यादें महकी महकी
मैं खुश हूँ वो मुझे कुछ दे गया तो!हसीं से ज़ख्म, यादें महकी महकी