January 24, 2011

घर जलाने को लोग फिर आये


दिल दुखाने को लोग फिर आये
आज़माने को लोग फिर आये

एक किस्सा मैं भूल बैठा था,
दोहराने को लोग फिर आये

साथ देंगे ये बस घड़ी भर का
लौट जाने को लोग फिर आये

मंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
घर जलाने को लोग फिर आये

हादसों को भुला के, महफ़िल में
हंसने-गाने को लोग फिर आये

फिर कतारें हैं दर पे कातिल के
सर कटाने को लोग फिर आये

'दूध के सब जले हैं' ये लेकिन,
धोखा खाने को लोग फिर आये

रास आया इन्हें न 'साहिल' तू,
डूब जाने को लोग फिर आये
 

20 comments:

  1. वाह वाह साहिल साहब, एक से बढ़कर एक शेर,
    मंदिरों मस्जिदों की बातों पर... हासिल-ए-ग़ज़ल शेर है यह...
    और मक्ते के क्या कहने... क्या खूब इस्तेमाल किया है आपने अपने तखल्लुस का...
    बहुत बढ़िया !!!

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  2. dil dukhanewale log saans tak nahi lene dete , dahloj per hi thahre hote hain !

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  3. मंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
    घर जलाने को लोग फिर आये !

    वाह,क्या शेर कहा है !
    मुक्कमल ग़ज़ल !

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  4. साथ देंगे बस ये घड़ी भर का
    लौट जाने को लोग फिर आए।

    वाह, साहिल जी आपकी यह ग़ज़ल बहुत पसंद आई।

    बहुत बढ़िया लिखते हैं आप।...बधाई।

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  5. मंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
    घर जलाने को लोग फिर आये !

    वाह,,,वाह बहुत खूब
    सभी शेर बढ़िया हैं
    उम्दा ग़ज़ल है
    बधाई...आभार

    गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं

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  6. गणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें..

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  7. जब सब लोग बार-बार आये तो ................

    हम भी आपकी महफ़िल मै ............

    आपकी रचना पड़ने एक बार आये

    सुन्दर रचना पड़ने के बाद ?

    दिल ये चाहे की हम भी यहाँ बार-बार आयें !



    शब्दों का सुन्दर ताना बाना सुन्दर रचना !

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  8. मंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
    घर जलाने को लोग फिर आये !

    बहुत खूब ....!!

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  9. मंदिर मस्जिद की बातों पर
    घर जलाने फिर लोग आये
    कितना सार्थक कहा है आपने ...आपकी रचना का हर एक शेर अर्थपूर्ण है आपका आभार साहिल जी

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  10. phir kataarein hai dar pe qaatil ke.....wahhhh!!!!

    bohot badhiya ghazal :)

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  11. "फिर कतारें हैं दर पे कातिल के
    सर कटाने को लोग फिर आये"

    vote डालने आये लोगों की कतारें देखकर ये शेर अनायास ही निकल गया था

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  12. साहिल जी ... लाजवाब ग़ज़ल है .... हर शेर अलग कहानी लिए ...

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  13. वाह बहुत खूब... लाजवाब ग़ज़ल है|

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  14. बहुत बढ़िया गज़ल है..

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  15. बहुत ही बढ़िया गज़ल है..

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  16. Sahil bhai
    Bahut hi sunder ghazal kahi hai apne,
    Ek kissa main bhula ke baitha tha
    Doharane ko log fir aaye.
    Khoobsurat sher badhai, shubhkamanaaon sahit
    Chandrabhan Bhardwaj

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  17. सभी शेर एक से बढ़ कर एक हैं.

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यहाँ आने का और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से नवाज़ने का शुक्रिया!

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