दिल दुखाने को लोग फिर आये
आज़माने को लोग फिर आये
एक किस्सा मैं भूल बैठा था,
दोहराने को लोग फिर आये
साथ देंगे ये बस घड़ी भर का
लौट जाने को लोग फिर आये
मंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
घर जलाने को लोग फिर आये
हादसों को भुला के, महफ़िल में
हंसने-गाने को लोग फिर आये
फिर कतारें हैं दर पे कातिल के
सर कटाने को लोग फिर आये
'दूध के सब जले हैं' ये लेकिन,
धोखा खाने को लोग फिर आये
रास आया इन्हें न 'साहिल' तू,
डूब जाने को लोग फिर आये
वाह वाह साहिल साहब, एक से बढ़कर एक शेर,
ReplyDeleteमंदिरों मस्जिदों की बातों पर... हासिल-ए-ग़ज़ल शेर है यह...
और मक्ते के क्या कहने... क्या खूब इस्तेमाल किया है आपने अपने तखल्लुस का...
बहुत बढ़िया !!!
dil dukhanewale log saans tak nahi lene dete , dahloj per hi thahre hote hain !
ReplyDeleteमंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
ReplyDeleteघर जलाने को लोग फिर आये !
वाह,क्या शेर कहा है !
मुक्कमल ग़ज़ल !
umda gazal.
ReplyDeletehar sher behtareen.
साथ देंगे बस ये घड़ी भर का
ReplyDeleteलौट जाने को लोग फिर आए।
वाह, साहिल जी आपकी यह ग़ज़ल बहुत पसंद आई।
बहुत बढ़िया लिखते हैं आप।...बधाई।
मंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
ReplyDeleteघर जलाने को लोग फिर आये !
वाह,,,वाह बहुत खूब
सभी शेर बढ़िया हैं
उम्दा ग़ज़ल है
बधाई...आभार
गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं
गणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें..
ReplyDeleteजब सब लोग बार-बार आये तो ................
ReplyDeleteहम भी आपकी महफ़िल मै ............
आपकी रचना पड़ने एक बार आये
सुन्दर रचना पड़ने के बाद ?
दिल ये चाहे की हम भी यहाँ बार-बार आयें !
शब्दों का सुन्दर ताना बाना सुन्दर रचना !
acchi ghazal hai saahil saab...
ReplyDeleteमंदिरों-मस्जिदों की बातों पर
ReplyDeleteघर जलाने को लोग फिर आये !
बहुत खूब ....!!
मंदिर मस्जिद की बातों पर
ReplyDeleteघर जलाने फिर लोग आये
कितना सार्थक कहा है आपने ...आपकी रचना का हर एक शेर अर्थपूर्ण है आपका आभार साहिल जी
phir kataarein hai dar pe qaatil ke.....wahhhh!!!!
ReplyDeletebohot badhiya ghazal :)
"फिर कतारें हैं दर पे कातिल के
ReplyDeleteसर कटाने को लोग फिर आये"
vote डालने आये लोगों की कतारें देखकर ये शेर अनायास ही निकल गया था
साहिल जी ... लाजवाब ग़ज़ल है .... हर शेर अलग कहानी लिए ...
ReplyDeleteवाह बहुत खूब... लाजवाब ग़ज़ल है|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गज़ल है..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया गज़ल है..
ReplyDeleteSahil bhai
ReplyDeleteBahut hi sunder ghazal kahi hai apne,
Ek kissa main bhula ke baitha tha
Doharane ko log fir aaye.
Khoobsurat sher badhai, shubhkamanaaon sahit
Chandrabhan Bhardwaj
सभी शेर एक से बढ़ कर एक हैं.
ReplyDeletebahutkhub bhai........
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