October 07, 2011

मैं भी जिम्मेवार हूँ हालात का

क्यूँ बुरा मानूं किसी की बात का?
मैं भी जिम्मेवार हूँ हालात का

हुक्मरां उसको न माने दिल मेरा
सर पे जिसके ताज है खैरात का

मै अभी सूखे से उबरा ही न था,
घर में पानी आ गया बरसात का

फूल, भंवरे, रात, जुगनू, चांदनी
शुक्रिया! मेरे खुदा सौगात का

फिर शफ़क़ ने दूर कर दी तीरगी
सुर्ख मुंह है फिर शरम से रात का


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