ज़ख्म पर रेशमी रुमाल रहा
खुद ही दिल से तुझे निकाला था,
ये अलग बात के मलाल रहा
एक बस तुझ से ही तवक्को थी
ऐ खुदा! तू भी बेख्याल रहा
अच्छा होगा, कहा था वाइज़ ने
पहले जैसा मगर ये साल रहा
तूने लिक्खे तो हैं जवाब कई
दिल में लेकिन वही सवाल रहा
शुक्र है, हंस के वो मिला 'साहिल'
उस को माज़ी का कुछ ख्याल रहा
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तवक्को = उम्मीद, expectation , hope
वाइज़ = preacher
माज़ी = गुज़रा वक़्त, past
bahut achhi rachna
ReplyDeleteखूब ... कमाल अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteदिल के हालात का जायजा लेती हुई एक उम्दा ग़ज़ल।
ReplyDeleteअच्छा लिखते हैं आप, ग़ज़ल पसंद आई।
मुबारकबाद।
doosra sher aur maqta bahut acche lage..... :)
ReplyDeleteमत्ले से मक्ते तक ग़ज़ल बेहतरीन.
ReplyDeleteawwwww....lovely :) bohot bohot khoobsurat ghazal hai...saare sher kamaal hain...aur maqta to bas...wahhh...!!
ReplyDeleteजवाब मिल कर भी सवाल रहा ...बहुत सुन्दर गज़ल
ReplyDeleteबहुत खूब ... साहिल जी मस्त ग़ज़ल है ... लाजवाब शेर ... खुद ही दिल से निकाला था ... ये शेर बहुत पसंद आया ...
ReplyDelete'तूने लिक्खे तो हैं जवाब कई
ReplyDeleteदिल में लेकिन वही सवाल रहा '
खूबसूरत शेर ...
उम्दा ग़ज़ल...
तूने लिखे तो है जवाब कई
ReplyDeleteदिल में लेकिन वही सवाल रहा
हर शेर उम्दा है...ये हासिले-ग़ज़ल लगा.
अच्छे कलाम के लिए मुबारकबाद.
तूने लिख्खे तो हैं जवाब कई
ReplyDeleteदिल में लेकिन व्ही सवाल रहा
इस बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मेरी दिली दाद कबूल फरमाएं...
नीरज
बेमिसाल ग़ज़ल है हर एक शेर तराशा हुआ नगीना सा है
ReplyDeletehmmmmmmm very nice post dear.... keep it up
ReplyDeleteMusic Bol
Lyrics Mantra
तूने लिख्खे तो हैं जवाब कई
ReplyDeleteदिल में लेकिन वही सवाल रहा..
बेजोड़...दाद कबूल करें
नीरज
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeletebahut achchi gazal hui hai bhai,har sher lajawab.
ReplyDeleteदर्द भरी बहतरीन गज़ल .......
ReplyDeleteशायरी की जमात में साहिल,
ReplyDeleteतूने जो भी कहा कमाल रहा !!!
प्रिय साहिल जी
ReplyDeleteबहुत शानदार ग़ज़ल लिखी है , मुबारकबाद है !
सारे अश्'आर बेहतर हैं …
तेरी यादों का दिल पे जाल रहा
ज़ख्म पर रेशमी रुमाल रहा
एक बस तुझ से ही तवक़्क़ो थी
ऐ ख़ुदा! तू भी बेख़याल रहा
शुक्र है, हंस के वो मिला 'साहिल'
उस को माज़ी का कुछ ख्याल रहा
स्वर्णकार हम हैं , लेकिन हीरे आप भी जड़ रहे हैं … :)
वाह वाऽऽह !
मैं भी कहना चाहूंगा -
तुमने 'साहिल'ग़ज़ल कमाल कही
इसका हर शे'र बेमिसाल रहा
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत शानदार ग़ज़ल लिखी है ,
ReplyDeleteशुक्र है , हंस के वो मिला 'साहिल '
ReplyDeleteउस को माजी का कुछ ख्याल रहा
सुभानाल्लाह ....!!
साहिल जी आप भी कमाल करने लगे अब ......
bahut achchi lagi.
ReplyDeleteयह गज़ल भी बहुत बढ़िया है..मतला तो कमला है..
ReplyDeleteप्रिय बंधुवर संदीप साहिल जी
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
नई ग़ज़ल पढ़ने आया था … पोस्ट बदलें तब मेल से सूचित अवश्य कीजिएगा
इस गज़ल के लिए पुनः हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
शस्वरं पर आपका इंतज़ार है …
vaah..
ReplyDeleteBahut umda! Waah!
ReplyDeleteशुक्र हैं हंसके मिला वो साहिल.
ReplyDeleteउसको माजी का ख्याल रहा.
वाह साहब, हम आपके कद्रदान हो गए.