रंग सुबह का बिखरने लग गया
इक हसीं चेहरा उभरने लग गया
दूर हूँ जो आप से, तो यूँ लगा
वक़्त आहिस्ता गुज़रने लग गया
सीना-ए-शब पर खिला हैं चाँद फिर
जिस्म में खंज़र उतरने लग गया
इश्क में, बस ज़ख्म इक हासिल हुआ
ज़ख्म भी ऐसा के भरने लग गया
ज़िन्दगी का पैराहन जिस पल मिला,
वक़्त का चूहा कुतरने लग गया
आपका जो अक्स इस पर आ पड़ा
आइना देखो, सँवरने लग गया
इक हसीं चेहरा उभरने लग गया
दूर हूँ जो आप से, तो यूँ लगा
वक़्त आहिस्ता गुज़रने लग गया
सीना-ए-शब पर खिला हैं चाँद फिर
जिस्म में खंज़र उतरने लग गया
इश्क में, बस ज़ख्म इक हासिल हुआ
ज़ख्म भी ऐसा के भरने लग गया
ज़िन्दगी का पैराहन जिस पल मिला,
वक़्त का चूहा कुतरने लग गया
आपका जो अक्स इस पर आ पड़ा
आइना देखो, सँवरने लग गया