आईने से मिला था मैं हँस कर
आँख रोती हुई दिखाई दी
आईना झूठ बोलता ही नहीं
रात के साहिलों पे हम ने भी
ख्वाब के कुछ महल बनाये थे
मौज-ए-सुबह में बह गया सब कुछ
ओढ़ कर रात सो गया सूरज,
ऊंघते हैं ये सब सितारे भी
रतजगा चाँद को मिला क्यों है?
आढ़ी तिरछी सी खींच दी किसने?
कुछ लकीरें मेरी हथेली पर
इनमें ढूँढू भला तुम्हें कैसे?
बहुत सुंदर ....आखिरी लाइने कमाल की हैं....
ReplyDeletewaah...
ReplyDeleteवाह भई वाह
ReplyDeleteबहुत खूब
sari triveniyan achchi lagi bhai........
ReplyDeleteआनंद! आनंद! आनंद!
ReplyDeleteआशीष
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लम्हा!!!
बड़े ही खुबसुरत ख्यालात है आपके। बेहतरीन त्रिवेणीयॉ।
ReplyDeleteरतजगा चाँद को मिला क्यों कर
ReplyDeleteमौज ए सुबह मे बह गया सबकुछ
इनमे ढूँढू भला तुम्हे कैसे
बहुत बढ़िया …
waah bahut khoob .... aakhri antra to kamaal ka hai .. :)
ReplyDeleteati sundar .inme dhoondhoo bhala tumhe kaise ?kitni masoomiyat bhari hai .....
ReplyDeleteआड़ी तिरछी सी खीँच दी किसने
ReplyDeleteकुछ लकीरें मेरी हथेली पर
इनमें ढूँढू भला तुम्हें कैसे ....?
सुभानाल्लाह .....!!
साहिल जी बहुत सुंदर .....
This has been very much awaited post after I went through your previous post under this label just because of the beauty and the wonderful rhythm lying in these Trivenis...
ReplyDeletewhile all these make a lovely piece of poetry but the first one is amazing for the truth hidden in it in really beautiful and philosophical way and I just loved the third one for the unique notion... सूरज और सितारों को सुलाने और चाँद को रतजगा देने का बेइन्तहा खूबसूरत ख़्याल...
more three liners are awaited...
Best wishes
aakhiri triveni par ham shaheed hue...subhaan'allah !
ReplyDeletebohot hi khoobsurat...
NICE....
ReplyDeleteत्रिवेणियां मन को भा गईं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
बहुत खूब ... क्या समा बाँधा है इन त्रिवेनियों में .... लाजवाब है सब की सब ....
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच
कम शब्दों में अच्छी प्रस्तुति.
ReplyDeleteरतजगा चाँद को मिला क्यूँ है ? वाह !...कभी इस अंदाज़ में सोचा ही नहीं ।
ReplyDeleteFantastic !
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