दुनिया से हरदम मिलते हैं
खुद से लेकिन कम मिलते हैं
आशिक हैं वो, सुबह-सवेरे
जिनके तकिये नम मिलते हैं
जब भी देखूं तेरा चेहरा
ज़ख्मों को मरहम मिलते हैं
वो क्या जाने प्यास हमारी,
जिनको जाम-ओ-जम मिलते हैं
तेरी यादों से, आँखों को,
बारिश के मौसम मिलते हैं
'साहिल', हैं सब कहने वाले
सुनने वाले, कम मिलते हैं
ReplyDelete♥
प्रियवर साहिल जी
सस्नेहाभिवादन !
आपके यहां से कोई कभी अतृप्त नहीं लौट सकता … :)
हमेशा की तरह बहुत प्यारी और मुकम्मल ग़ज़ल के लिए शुक्रिया और मुबारकबाद !
हर शे'र ख़ूबसूरत है … यह अपने साथ लिये' जा रहा हूं -
तेरी यादों से आंखों को
बारिश के मौसम मिलते हैं
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
# मेल द्वारा अपनी मेल आई डी भेजने की कृपा करें ।
ReplyDeleteऔर अपने मोबाइल नं. भी
कभी संवाद होने की भी संभावना रहे …
मेरे मोबाइल नं. 9314682626
साहिल जी खूबसूरत गजल ..जब भी देखूं तेरा चेहरा जख्मों को मरहम ...वाह
ReplyDeleteभ्रमर ५
वाह...बहुत भावपूर्ण रचना...बधाई
ReplyDeleteनीरज
वाह साहिल साहब ... मतले के शेर ने ही बाँध लिया ...
ReplyDeleteकमाल के शेर हैं सभी ... तेरी यादों से आँखों को ... क्या कमाल की लाइन है ... और फिर आखिर वाला शेर ... साहिल हैं सब कहने वाले ... आज की हकीकत बयान कर रहा है ... सुभान अल्ला ... बहुत बहुत बधाई इस लाजवाब गज़ल पे ...
इस खूबसूरत और भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteGyan Darpan
खुबसूरत भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-694:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
हर शेर पर दाद कबूल कीजिये
ReplyDeletehaan ....sunnewale to kam hi milte hain......
ReplyDeleteबेहद सुन्दर!
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
बहुत सुन्दर गज़ल साहिल जी...
ReplyDeleteसादर बधाई...
बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण
ReplyDeleteबहुत खूब.......दूसरा और आखिरी शेर सबसे बढ़िया |
ReplyDeleteअच्छी रचना, अच्छे भाव
ReplyDeleteतेरी यादों से आँखों को
ReplyDeleteबारिश के मौसम मिलते हैं
बढ़िया शेर......उम्दा ग़ज़ल
वाह वाह ! क्या खूब ग़ज़ल कही है साहिल साहब...
ReplyDeleteदुनिया से हरदम मिलते हैं,
खुद से लेकिन कम मिलते हैं... क्या लाजवाब शेर है...
तेरी यादों से आँखों को,
बारिश के मौसम मिलते हैं.... बहुत बढ़िया !!!
bahut badhiya gazal hai bhai
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