September 13, 2010

नाखुदा ही कश्तियाँ डुबा गए

खवाब की तरह हमें भुला गए
अश्क बन के आँख में समां गए
 

रंजिशें दैर-ओ-हरम की थी मगर,
लोग मेरा मैकदा जला गए


खुद को भूल कर, खुदा तलाशने
लोग जाने सब कहाँ कहाँ गए
 

उम्र भर बचा किये तूफ़ान से
नाखुदा ही कश्तियाँ डुबा गए


ख़ुदकुशी से डर रहा था मैं ज़रा
दोस्त मेरे हौसला दिला गए

खुद से छुप रहा था मैं, तो आप क्यों?
हाथ में ये आइना थमा गए

********************
रंजिश = दुश्मनी
दैर-ओ-हरम = मंदिर और मस्जिद
नाखुदा = नाविक
 

11 comments:

  1. bahut hi achhi panktiyan
    prabhavi prastuti.... badhai

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  2. मोनिका जी, बहुत शुक्रिया!

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  3. रंजिशें दैर-ओ - हरम की थी मगर
    लोग मेरा मैकदा जला गए .......

    वाह----वाह.....क्या बात है .....!!

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  4. यहाँ आने और दाद देने का शुक्रिया, हरकीरत जी.

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  5. साहिल जी,

    जज़्बात और मिर्ज़ा ग़ालिब पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया..........आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा..........सुन्दर रचना है आपकी ....ये शेर बहुत पसंद आया........

    "खुद को भूलकर, खुदा तलाशने
    लोग जाने सब कहाँ गए "

    ऐसे ही लिखते रहिये...........शुभकामनाये |

    कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
    http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
    http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
    http://khaleelzibran.blogspot.com/
    http://qalamkasipahi.blogspot.com/

    एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|

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  6. साहिल जी,
    लाजवाब रचना. उम्दा. जारी रहिए. मजा आया पढ़कर.

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  7. इमरान जी और अमित जी
    बहुत बहुत शुक्रिया..........

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  8. साहिल जी,

    मिर्ज़ा ग़ालिब और जज़्बात पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया .....आपकी बात बिलकुल ठीक है जैसे आपने कहा शेर ठीक वैसे ही हैं पर शायद आपने मेरे ब्लॉग के बारे में ऊपर नहीं पड़ा .............मेरी कोशिश है उन अल्फाजों का मतलब सरल सब्दों में दूं जो लोगों को जल्द समझ नहीं आते आप सही बताएं कितने लोग हैं जिन्हें तगाफुल या जुज-मर्ग-इलाज का मतलब पता होता है अगर आप ऊपर ब्लॉग के बारे में पड़ते तो आपको ये शिकायत नहीं होती |

    रही बात जज़्बात की , वही बात कहना चाहता हूँ इन दायरों से बहार निकले की किसका क्या है ....तेरा - मेरा से दूर हैं जज़्बात ...........सिर्फ जज्बातों को दिल में उतरने दीजिये .............

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  9. यहां आकर बेहतरीन कलाम देखने को मिला है.

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  10. bahot khub...har line dil ko chhu gai...

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  11. क्या बात है ! बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल,
    हर शेर में कुछ ख़ास बात है !

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यहाँ आने का और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से नवाज़ने का शुक्रिया!

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