देखो कैसा मंज़र अब तक
सारी धरती बंजर अब तक
राम आयेंगे कितने युग में
आहिल्या है पत्थर अब तक
कुछ ख़्वाबों ने आँखें छोड़ी
बंजारों से बेघर अब तक
वो जाता हैं कातिल मेरा
हाथों मैं है खंज़र अब तक
'साहिल' उनका रस्ता देखा
वो न आये कहकर अब तक
सारी धरती बंजर अब तक
राम आयेंगे कितने युग में
आहिल्या है पत्थर अब तक
कुछ ख़्वाबों ने आँखें छोड़ी
बंजारों से बेघर अब तक
वो जाता हैं कातिल मेरा
हाथों मैं है खंज़र अब तक
'साहिल' उनका रस्ता देखा
वो न आये कहकर अब तक
बेहद शानदार अलफ़ाज़ चुने हैं आपने छोटे बहर की इस खूबसूरत ग़ज़ल में और कमाल की बढ़िया लय है इस कलाम की...
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